तू जानता नहीं मैं कौन हूँ!

मचा आतंक आया वायरस कोरोना,
चपेट में आया दुनिया का कोना कोना।
जान को हानि माल को हानि, हर तरफ नुक़सान ही नुक़सान।
ऐसे में सोचा, कोई तो होगा, जिसे दी होगी इसने मुस्कान,
कोई तो होगा, जो करता होगा इस खलनायक का गुणगान।

कहते हैं की दुनिया का है ये कायदा,
किसी के नुक़सान मैं है किसी का फायदा।
तो सोचा की बनायी जाये एक लिस्ट उनकी,
कोरोना की बदौलत निकल पड़ी हो जिनकी।

फिर क्या, खूब की दिमाग की कसरत, और किया प्यारी श्रीमतीजी को भी ask,
तो लिस्ट में आयीं बस कंपनियां जो बनाती sanitizer, toilet paper और mask
इनके सिवा जब सूझा ना कोई और नाम,
तो सोचा घुसा दें इस लिस्ट में अपना ही नाम।
जानते थे भली भाँती कि नाम लिस्ट में घुसाना होगा ना आसान,
cruise, airline, hotel और travel industry वालो से पूछ लो श्रीमान।

पर हमने भी खेली नहीं थी गोलियां कच्ची,
रुपये-डॉलर की नहीं, बात दिमाग में आयी उससे भी अच्छी।
सोचा की तीन हफ्ते के लिए जो बंद है पुत्तरजी का स्कूल,
तो मौके पे मारेंगे चौका और बन के दिखाएँगे ‘डैडी-कूल‘।

सोचा कोरोना के कंधे पर रख के बन्दूक, जमाई जाएगी पुत्तर पे धाक,
शाम बरख़ुरदार को दिया ऑफर – फैंसी रेस्टोरेंट में डिनर की करी बात।
साहबज़ादे फरमाए, “वहां ना मिलेगी table, अपनी नहीं है औकात,
महीना पहले गर न हो रिजर्वेशन, They don’t let you in, unless you’re a big-shot

भूमिका गयी थी बंध, the stage was all set, कोरोना के चलते रेस्टोरेंट होगा खाली,
ये सोच बोले “तू जानता नहीं मैं हूँ कौन, असली बिगशॉट हैं हम – बाकि सब हैं जाली”।
शाम फैंसी रेस्टोरेंट का नज़ारा था कुछ ऐसा,
बस थे हम ही हम, मानो खिलाया हो पैसा।

हँसके पुत्तर जी से बोले, “कहा था ना मैंने – तू जानता नहीं मैं हूँ कौन !”
पुत्तर था सयाना, ऐसा लाया अर्श से फर्श पर कि कर दिया हमे मौन।

“आप हो वही, जो सुबह फर्श पे लेट के बाथरूम की टूटी कर रहे थे ठीक,
वीकडेज़ में मेरे ड्राइवर और वीकेंड पे मांगते हो मुझसे टेनिस खेलने की भीक।”

टूटा धाक जमाने का सपना,
जाने क्यों ऐसा भाग्य था अपना,
निकले रेस्टोरेंट से कुछ ऐसे,
निकला हो ख़ुल्द से आदम जैसे।
घर आकर लिस्ट से दिया नाम अपना काट,
मुए कोरोने, जा खड़ी हो जाये तेरी खाट।

तू जानता नहीं मैं हूँ कौन!

– अजेय मागो ‘हाज़िर’

Published by Ajay Mago 'Haazir'

Ajay Mago is an India-Born IT professional currently residing in Northern California. He writes poetry and short stories in his spare time. He writes in both Hindi and English languages and adopts a free-flowing writing style. Ajay attempts to weave a humorous spin as he pens down his thoughts and observations, predominantly about human relationships and the things/events that he witnesses in the contemporary world. He considers himself a true witness to the happenings in this movie scripted by God and so he assumes the pen name of “Haazir“ - Ajay Mago 'Haazir' (अजेय मागो ‘हाज़िर’) Connect with Ajay on Facebook Connect with Ajay on YouTube Read Ajay's Blog on WordPress Ajay's Books Published on Amazon

11 thoughts on “तू जानता नहीं मैं कौन हूँ!

  1. Beautiful …….i enjoyed a lot😊apki Awaj ne apki poem me char chand laga diye …..apke shabdo k tarah hi apki Awaj keep it up👍🌺😊

    Liked by 1 person

Leave a comment

Design a site like this with WordPress.com
Get started